Dussehra Festival 2023 – क्या है दशहरे का महत्व
दशहरा का पर्व बुराई की अच्छाी पर जीत और असत्य की सत्य पर जीत का पर्व है। यह हर साल शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है . इस दिन भगवान राम से रावण का वध किया था। इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है।
इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर विजया दशमी कहते हैं। इस दिन भगवान रामचन्द्रजी ने लंका पर विजय प्राप्त की थी इसलिए भी इस पर्व को विजया दशमी कहा जाता है। ऐसा मानना है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजया’ नामक काल होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धि दायक होता है। 1) दशमी तिथि का आरंभ . 2) दशहरा 2023 . 3) कुशल राजा और राजनीतिज्ञ.
Dussehra Festival 2023
क्या है दशहरे का महत्व आईये जानते हे
Dussehra Puja 2023 : दशमी तिथि, पूजन विधि, महत्व
दशहरा का पर्व बुराई की अच्छाी पर जीत और असत्य की सत्य पर जीत का पर्व है। यह हर साल शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि के दिन मनाया जाता है . इस दिन भगवान राम से रावण का वध किया था। इसे विजयदशमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन रावण का पुतला बनाकर उसका दहन किया जाता है। इस पर्व को भगवती के ‘विजया’ नाम पर विजया दशमी कहते हैं।
इस दिन भगवान रामचन्द्रजी ने लंका पर विजय प्राप्त की थी इसलिए भी इस पर्व को विजया दशमी कहा जाता है। ऐसा मानना है कि आश्विन शुक्ल दशमी को तारा उदय होने के समय ‘विजया’ नामक काल होता है। यह काल सर्वकार्य सिद्धि दायक होता है।
2023 Dussehra
Dussehra Puja 2023: दशमी तिथि का आरंभ
इस साल आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि 24 अक्टूबर मंगलवार के दिन है। आपको बता दें कि दशमी तिथि का आरंभ 23 अक्टूबर को शाम के समय 5 बजकर 44 मिनट पर होगा और इसका समापन 24 अक्टूबर को 3 बजकर 14 मिनट पर होगा। दशहरा का त्योहार 24 अक्टूबर को मनाया जाएगा। बता दें कि इस साल दशहरा पर दो बहुत ही शुभ योग बनने जा रहे हैं एक रवि योग और दूसरी वृद्धि योग का संयोग है।
Dussehra 2023:दशहरा का महत्व
दशहरा का पर्व असत्य की सत्य पर जीत का पर्व है। दशहरा जिसे विजय दशमी भी कहते हैं यह पर्व अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को आता है। विजयदशमी यानी दशहरा नवरात्रि खत्म होने के अगले दिन मनाया जाता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, भगवान राम ने रावण का वध करने से पहले 9 दिनों तक मां दुर्गा की उपासनी की थी और 10वें दिन रावण का वध किया था।
इसे लेकर एक अन्य पौराणिक कथा कहती है कि एक महिषासुर नाम का राक्षस था जिसने ब्रह्मा जी की उपासना करके वरदान प्राप्त किया था कि वह पृथ्वी पर कोई भी उसे पराजित नहीं कर पाएगा अर्थात उसका वध नहीं कर पाएगा। महिषासुर से अपने पाप से हाहाकार मचा दिया था। तब ब्रह्मा विष्णु महेश ने अपनी शक्ति से दुर्गा मां का सर्जन किया था। मां दुर्गा और महिषासुर के बीच में 9 दिनों तक मुकाबला चला और 10वें दिन मां दुर्गा ने असुर का वध कर दिया। देशभर में अलग-अलग जगह रावण दहन होता है और हर जगह की परंपराएं बिल्कुल अलग हैं.
Dussehra Festival 2023Dussehra Puja 2023
Dussehra 2023 in India: दशहरा 2023
बंगाल में यह उत्सव दुर्गा पर्व के रूप में बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। देश के कोने-कोने में इस पर्व से कुछ दिन पहले से ही रामलीलाएँ शुरू हो जाती हैं। सूर्यास्त होते ही रावण, कुम्भकरण तथा मेघनाथ के पुतले जलाये जाते हैं। दुर्गा पूजन, अपराजिता पूजन, विजय-प्रमाण, शमीपूजन तथा नवरात्र पारण, दुर्गा-विसर्जन इस पर्व के महान कर्म है। क्षत्रियों का यह बहुत बड़ा पर्व माना जाता है। इस दिन ब्राह्मण सरस्वती पूजन, क्षत्रिय शस्त्र-पूजन तथा वैश्य बही पूजन करते हैं। इसलिए यह राष्ट्रीय पर्व माना जाता है।
रावण भगवान शिव के बहुत बड़े भक्त थे। ऐसा माना जाता है कि रावण ने भगवान शिव के निवास स्थान कैलाश पर्वत को अपने साथ लंका ले जाने के लिए उठा लिया था, लेकिन भगवान शिव ने अपनी पैर की छोटी उंगली से दबा कर पर्वत नीचे कर दिया था। इस वजह से रावण की उंगलियां दब गई और वे दर्द के कारण चिल्ला पडे़। लेकिन वे भगवान शिव की शक्ति से इतने प्रभावित हुए कि उन्होंने शिव तांडव स्त्रोत का निर्माण किया। जिससे महादेव ने प्रसन्न होकर उन्हें आशीर्वाद दिया था।
Dussehra 2023 in India
कुशल राजा और राजनीतिज्ञ :
कई रामायणों में ऐसा माना जाता है कि जब रावण मृत्यु के समीप थे, तब भगवान राम ने अपने छोटे भाई लक्ष्मण से कहा था कि जाओ रावण को प्रणाम कर उनसे राजनीति का ज्ञान प्राप्त करके आओ। ऐसा कहा जाता है कि रावण राजनीति के बहुत बड़े ज्ञाता थे और एक कुशल राजा थे। उनकी प्रजा को किसी चीज की कमी नहीं थी और उनका राज्य इतना समृद्ध था कि लंका के सबसे गरीब व्यक्ति के पास भी सोने के बरतन हुआ करते थे।
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